आलू (Potato) को सब्जियों का राजा (King of Vegetables) कहा जाता है एवं इसे गरीब आदमी के भोजन (Poor Man’s Food) के नाम से भी जाना जाता है हमारे भोजन मे प्रयोग किए जाने वाली अनेक प्रकार के सब्जियों मे आलू एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है यही कारण है की आज भी आलू किसी न किसी रूप मे हमारे प्रतिदिन के आहार मे होता ही है। आलू मे कार्बोहाइड्रेट की प्रचुर मात्रा के साथ-साथ इसमे स्टार्च, प्रोटीन, विटामिन्स, खनिज लवण एवं अमीनो अम्ल की मात्रा भी पाई जाती है जो मानव शरीर के वृद्धि एवं विकाश के लिए अच्छा माना जाता है।
हमारे देश मे आलू का उत्पादन मुख्यतः सब्जी के लिए किया जाता है, सब्जी के अलावे इसका उपयोग चिप्स, फेरेंच फ्राई, फ्लेक्स, आलू पेठा, आलू कुकीज, आलू पापङ, आलू बर्फी आदि बनाने मे भी इसका उपयोग किया जाता है। हमारा देश भारत आलू का एक प्रमुख्य उत्पादक देश है भारत का उत्पादन मे विश्व मे चीन के बाद इसका दूसरा स्थान है। आलू अन्य फसलों की तुलना मे जल्दी तैयार होने वाली फसल है एवं इसका बाजार भाव भी अच्छा होता है बाजार भाव अच्छा होने के कारण इसका खेती करके किसान अच्छे मुनाफे कमा सकते है। इसकी खेती मे आलू के किस्मों का भी विशेष महत्व है तो आइये जानते है कि आलू की खेती के लिए कौन-कौन से किस्मे है और इन किस्मों की क्या खासियत है।
आलू की किस्म (Potato Varieties)
कुफ़री हिमालिनी (Kufri Himalini) |
कूफरी फ्राईसोना (Kufri Frysona) |
कुफ़री कर्ण (Kufri Karan) |
कूफरी फ्राईओम (Kufri FryoM) |
कूफरी गिरधारी (Kufri Girdhari) |
कूफरी सहयाद्रि (Kufri Sahyadri) |
कूफरी ललित (Kufri Lalit) |
कूफरी नीलिमा (Kufri Neelima) |
कूफरी नीलकंठ (Kufri Neelkanth) |
कूफरी सूर्या (Kufri Surya) |
कूफरी ख्याति (Kufri Khyati) |
कूफरी अरुण (Kufri Arun) |
कूफरी गंगा (Kufri Ganga) |
कूफरी शैलजा (Kufri Shailja) |
कूफरी माणिक (Kufri Manik) |
कूफरी लालिमा (Kufri Lalima) |
कूफरी मोहन (Kufri Mohan) |
कूफरी गौरव (Kufri Gaurav) |
कूफरी गरिमा (Kufri Garima) |
कूफरी सदाबहार (Kufri Sadabahar) |
कूफरी पुष्कर (Kufri Pushkar) |
कुफरी चंद्रमुखी (Kufri Chandramukhi) |
कुफरी चिप्सोना-1 (Kufri Chipsona-1) |
कुफरी चिप्सोना-2 (Kufri Chipsona-2) |
कुफरी चिप्सोना-3 (Kufri Chipsona-3) |
कुफरी चिप्सोना-4 (Kufri Chipsona-4) |
कुफरी आनंद (Kufri Anand) |
कुफरी अरुण (Kufri Arun) |
कुफरी अशोक (Kufri Ashoka) |
कुफरी बादशाह (Kufri Badshah) |
कुफरी जवाहर (Kufri Jawahar) |
कुफरी जीवन (Kufri Jeevan) |
कुफरी ज्योति (Kufri Jyoti) |
कुफरी गिरिराज (Kufri Giriraj) |
कुफरी बहार (Kufri Bahar) |
यह भी पढे..
आलू की किस्मों की विशेषताएं और पैदावार (Characteristics and yield of potato varieties)
कूफरी सूर्या (Kufri Surya) – यह आलू की अगेती किस्म है, इसकी कंद का आकार लंबा अंडाकार एवं कंद का रंग पीला एवं गुदा भी पीला होता है इसकी फसल 70 से 90 दिनों मे तैयार हो जाती है यह किस्म प्रति हेक्टेयर 25 से 30 टन तक की पैदावार देती है।
कूफरी नीलकंठ (Kufri Neelkanth) – यह आलू की मध्य अवधि वाली किस्म है, इसकी कंद का आकार अंडाकार एवं उथली आँखे और गुदा पीला होता है, यह किस्म प्रति हेक्टेयर 30 से 40 टन तक की पैदावार देती है. इसकी भंडारण क्षमता अच्छी होती है।
कूफरी लालिमा (Kufri Lalima) – इसकी कंद का आकार अंडाकार एवं गुदा क्रीमी होता है, यह किस्म प्रति हेक्टेयर 20 से 25 टन तक की पैदावार देती है. इसकी भंडारण क्षमता अच्छी होती है।
कूफरी ख्याति (Kufri Khyati) – यह आलू की अगेती मध्य अवधि वाली किस्म है, यह किस्म करीब 70 से 90 दिनों मे तैयार हो जाता है, यह किस्म प्रति हेक्टेयर 25 से 30 टन तक की पैदावार देती है. यह आलू की किस्म अगेती एवं पछेती झुलसा के प्रतिरोधी है इसकी भंडारण क्षमता अच्छी होती है।
कूफरी सदाबहार (Kufri Sadabahar) – यह आलू की मध्यम अवधि वाली किस्म है, इसका कंद सफेद आकर्षक एवं अंडाकार होता है. इसकी फसल 80 से 90 दिनों मे तैयार हो जाती है। इस किस्म की खास बात यह है कि इसमे कंद बनने की प्रक्रिया जल्दी शुरू होती है इसकी भंडारण क्षमता अच्छी होती है यह किस्म प्रति हेक्टेयर 30 से 35 टन तक की पैदावार देती हैं।
यह भी पढे.. पोटैटो डिगर से करें आलुओं की खुदाई, होगी समय और पैसें दोनों की बचत
कुफरी चिप्सोना-3 (Kufri Chipsona-3) – यह आलू की किस्म चिप्स, फेरेंच फ्राई, फ्लेक्स आदि बनाने के लिए उपयुक्त है, इसका कंद का आकार अंडाकार एवं रंग सफेद क्रीमी होता है एवं इसका गुदा सफेद होता है. इसकी फसल 110 से 120 दिनों मे तैयार हो जाती है। इसकी भंडारण क्षमता अच्छी होती है. यह आलू की किस्म पछेती झुलसा रोग प्रतिरोधी है, यह किस्म प्रति हेक्टेयर 30 से 35 टन तक की पैदावार देती हैं।
कुफरी चिप्सोना-4 (Kufri Chipsona-4) – यह आलू की किस्म चिप्स, फेरेंच फ्राई, फ्लेक्स आदि बनाने के लिए उपयुक्त है, इसका कंद का आकार गोल अंडाकार एवं रंग सफेद क्रीमी होता है एवं इसका गुदा सफेद होता है. इसकी फसल 100 से 110 दिनों मे तैयार हो जाती है। यह किस्म कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश एवं गुजरात के लिए उपयुक्त है।
कूफरी मोहन (Kufri Mohan) – यह आलू की मध्यम अवधि वाली किस्म है, इसकी फसल 90 से 100 दिनों मे तैयार हो जाती है। इसका कंद का आकार अंडाकार एवं रंग सफेद होता है एवं इसका गुदा सफेद होता है. इसकी भंडारण क्षमता अच्छी होती है यह किस्म प्रति हेक्टेयर 35 से 40 टन तक की पैदावार देती हैं।
कुफरी अरुण (Kufri Arun) – यह आलू की मध्यम अवधि वाली किस्म है, इसका कंद का आकार अंडाकार एवं रंग लाल होता है एवं इसका गुदा क्रीमी होता है। इसकी फसल 80 से 90 दिनों मे तैयार हो जाती है, यह किस्म प्रति हेक्टेयर 30 से 35 टन तक की पैदावार देती हैं।
कूफरी ललित (Kufri Lalit) – यह आलू की मध्यम अवधि वाली किस्म है, इसका कंद का आकार गोल एवं रंग हल्का लाल होता है एवं इसका गुदा हल्का पीला होता है। इसकी फसल 90 से 100 दिनों मे तैयार हो जाती है, यह किस्म प्रति हेक्टेयर 30 से 35 टन तक की पैदावार देती हैं।
➢ आलू के बीज को ऑनलाइन यहाँ से ऑर्डर किया जा सकता हैं – Click here
तो मुझे आशा है कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। और उन तक भी आलू के उन्नत किस्म के बारे मे जानकारी पहुँचाए।
यह भी पढे..