फूलगोभी (Cauliflower) एक महत्वपूर्ण फसल है. जिसे काफी प्रसंद किया जाता है. हमारे देश में सब्जियों के रूप में इसका काफी ज्यादा मात्रा मे इस्तेमाल किया जाता है. आमतौर पर फूलगोभी की सब्जी हमें विशेष कर ठंड के मौसम मे ज्यादा देखने एवं खाने को मिलता है. वैसे तो आजकल हर मौसम मे फूलगोभी देखने को मिलता है इसका मुख्य वजह इसके उन्नत किस्मों का आना, नई एवं आधुनिक टेक्नोलॉजी का विकाश होना। जिससे की इसकी फसल को दूसरे सीजन मे भी आसानी से उगाया जा सकता है।
वैसे तो फूलगोभी का ज्यादातर इस्तेमाल सब्जी बनाने के लिए किया जाता है लेकिन इसके अलावा इसका उपयोग सूप, आचार, पकौड़े, बिरयानी, पराठा आदि एवं जब इसकी मांग बाजार मे कम हो जाती है या इसका बाजार भाव कम हो जाता है तो फूलगोभी को छोटे-छोटे टूकङो मे काटकर धूप मे सूखाकर भविष्य मे प्रयोग के लिए रख लेते है। फूलगोभी मे कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते है जो की मानव स्वस्थ्य के लिए काफी लाभदायक माना जाता है. इसके सेवन करने से मानव शरीर को कई फायदे होते है जैसे कि ये कैंसर से बचाने मे भी सक्षम है साथ ही यह पाचन शक्ति को बढ़ाने मे अत्यन्त लाभदायक है. क्योंकि इसमे बीमारियों से लङने के लिए कई आवश्यक तत्व अधिक मात्रा मे उपलब्ध होते है यह प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन “ए” तथा विटामिन “सी” का भी अच्छा स्त्रोत है।
हमारे देश भारत में करीब 60 लाख हेक्टेयर भूमि पर सब्जी की खेती की जाती है फूलगोभी के उत्पादन मे हमारे देश भारत का पहला स्थान है हमारे देश में फूलगोभी उगाने वाले प्रमुख्य राज्य पश्चिमी बंगाल, मध्यप्रदेश, बिहार, हरियाणा, उड़ीसा, गुजरात, छत्तीसगढ़, आसाम, उत्तर प्रदेश और पंजाब है।
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मिट्टी एवं जलवायु
फूलगोभी की अगेती किस्म के लिए बलुई दोमट मिट्टी तथा पिछेती के लिए भारी दोमट या चिकनी मिट्टी उपयुक्त होती है फूलगोभी कि खेती (Cauliflower Farming) के लिए अच्छे जल निकास वाली गहरी एवं उपजाऊ भूमि जिसमे जैविक पदार्थ अधिक हो खेत की मिट्टी का पी0 एच0 मान लगभग 5.5 से 7 हो तो ऐसी भूमि फूलगोभी कि खेती के लिए अच्छी होती है वैसे तो फूलगोभी की खेती विभिन्न प्रकार के मिट्टियों मे भी की जा सकती है।
फूलगोभी कि खेती के लिए ठंडा एवं आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है जिस क्षेत्र मे अधिक ठंडा एवं पाला का प्रकोप होता है उस क्षेत्र मे इसकी पैदावार पर प्रभाव पङती है क्योंकि अधिक ठंडा एवं पाला वाले क्षेत्रों मे ठंडा एवं पाला का प्रकोप होने से फूलों को अधिक नुकसान होता है. फूलगोभी की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए 15 से 20 डिग्री तापमान अच्छा होता है।
फूलगोभी की किस्में (Cauliflower Varieties)
सामान्य किस्म (Varieties) | संकर किस्म (Hybrid Varieties) |
पूसा दीपाली (Pusa Deepali) | पूसा हाइब्रिड -2 (Pusa Hybrid -2) |
पूसा कटकि (Pusa Katki) | पूसा कार्तिक शंकर (Pusa Kartik Sankar) |
पूसा कार्तिकी (Pusa Kartiki) | |
पूसा बेटाकेसरी (Pusa Betakesari) | |
पूसा मेघना (Pusa Meghna) | |
पूसा अर्ली सिंथेटिक (Pusa Early Synthetic) | |
पूसा शरद (Pusa Sharad) | |
पूसा हिमज्योति (Pusa Himjyoti) | |
पूसा शुभ्रा (Pusa Shubhra) | |
पंत गोभी -2 (Pant Gobhi -2) | |
पूसा शुक्ति (Pusa Shukti) | |
पूसा शुभ्रा (Pusa Shubhra) | |
पूसा सिंथेटिक (Pusa Synthetic) | |
पूसा स्नोबॉल -1 (Pusa Snowball -1) | |
पूसा स्नोबॉल -2 (Pusa Snowball -2) | |
पूसा स्नोबॉल -K1 (Pusa Snowball -K1) | |
पूसा स्नोबॉल -16 (Pusa Snowball -16) | |
अर्का कान्ति (Arka Kanti) | |
काशी कुंवारी (Kashi Kunwari) | |
पंत गोभी -4 (Pant Gobhi -4) | |
पंत शुभ्रा (Pant Shubra) | |
इम्प्रूव्ड जपानीज़ (Improved Japanese) | |
हिसार -1 (Hisar -1) | |
ऊटी -1 (Ooty -1) | |
पूसा स्नोबॉल के.टी. 25 (Pusa Snowball K.T. 25) | |
पूसा पौषजा (Pusa Paushja) | |
पंत गोभी -3 (Pant Gobhi -3) |
फूलगोभी की अगेती किस्में
फूलगोभी की अगेती किस्में पूसा कार्तिकी, पूसा कार्तिक शंकर, पूसा मेघना, पूसा अर्ली सिंथेटिक, काशी कुंवारी, पूसा दीपाली, पूसा कटकि एवं अर्का कान्ति है।
फूलगोभी की मध्यम किस्में
फूलगोभी की मध्यम किस्में पंत गोभी -4, पंत शुभ्रा, इम्प्रूव्ड जपानीज़, पूसा हाइब्रिड -2, पूसा शरद, पूसा सिंथेटिक, हिसार -1, पूसा शुभ्रा एवं पूसा हिमज्योति है।
फूलगोभी की पछेती किस्में
फूलगोभी की पछेती किस्में पूसा स्नोबॉल -1, पूसा स्नोबॉल -2, पूसा स्नोबॉल -K1, पूसा स्नोबॉल -16 एवं ऊटी -1 है।
पूसा स्नोबॉल -K1
यह फूलगोभी की पछेती किस्म है इसका फूल बर्फ की तरह सफेद होता है, इसके फूल बनने एवं विकसित होने के लिए 10-16 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है. इसका फूल रोपाई के करीब 90 से 95 दिनों मे तैयार हो जाता है इसका औसत उपज 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर है।
पूसा स्नोबॉल -1
यह फूलगोभी की पछेती किस्म है यह शीतकालीन मौसम के लिए उपयुक्त किस्म है, इसके फूल बनने एवं विकसित होने के लिए 10-16 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है. इसका फूल बर्फ के जैसे सफेद होता है। इसका फूल रोपाई के करीब 90 से 100 दिनों मे तैयार हो जाता है इस किस्म का औसत पैदावार 180-200 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है।
पूसा हाइब्रिड -2
यह फूलगोभी की संकर नस्ल है इसके फूल बनने एवं विकसित होने के लिए 15-20 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है, इसका फूल दही के जैसे सफेद एवं इसके फूल मध्यम आकार के होते है। इसका फूल रोपाई के करीब 80 से 90 दिनों मे तैयार हो जाता है इसका औसत उपज करीब 18 से 23 टन प्रति हेक्टेयर है।
पूसा कार्तिक शंकर
यह फूलगोभी की अगेती किस्म है इसका फूल दही के जैसे सफेद, वजन मे लगभग 350 से 450 ग्राम एवं इसके फूल मध्यम आकार के होते है. इसका फूल रोपाई के करीब 90 से 100 दिनों मे तैयार हो जाता है इसका औसत उपज करीब 10 से 14 टन प्रति हेक्टेयर है।
पूसा शरद
यह फूलगोभी की मध्यम अगेती किस्म है इसका फूल दही के जैसे सफेद, वजन मे लगभग 800 से 900 ग्राम एवं इसके फूल अर्ध-गुंबद के आकार के होते है. इसका फूल रोपाई के करीब 80 से 85 दिनों मे तैयार हो जाता है, इसके फूल बनने एवं विकसित होने के लिए 15-20 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है इसका औसत उपज करीब 20 से 24 टन प्रति हेक्टेयर है।
पूसा पौषजा
यह फूलगोभी की मध्यम पछेती किस्म है इसका फूल दही के जैसे सफेद, वजन मे लगभग 800 से 900 ग्राम एवं इसके पत्ते नीले हरे होते है. इसका फूल रोपाई के करीब 80 से 85 दिनों मे तैयार हो जाता है, इसके फूल बनने एवं विकसित होने के लिए 15-20 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है इसका औसत उपज करीब 30 से 35 टन प्रति हेक्टेयर है।
काशी कुंवारी
यह फूलगोभी की अगेती किस्म है इसका फूल दही के जैसे सफेद, वजन मे लगभग 300 से 450 ग्राम एवं इसके फूल अर्ध-गुंबद के आकार के होते है. इस किस्म की खास बात यह है कि यह अपने वानस्पतिक विकास के दौरान उच्च वर्षा को सहन कर सकता है। इसका औसत उपज करीब 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
बीज दर (Seed Rate)
किस्मे | बीज की मात्रा | बुआई का समय |
अगेती किस्म | 500 से 600 ग्राम प्रति हेक्टेयर | मध्य मई से जून |
मध्यम अगेती किस्म | 400 ग्राम प्रति हेक्टेयर | जुलाई अंत से अगस्त प्रारंभ |
मध्यम पछेती किस्म | 350 ग्राम प्रति हेक्टेयर | अगस्त अंत से सितम्बर प्रारंभ |
पछेती किस्म | 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर | सितम्बर से अक्तूबर |
भूमि की तैयारी
किसी भी फसल से अच्छी पैदावर लेने के लिए भूमि की अच्छी तैयारी करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है फूलगोभी की खेती के लिए भूमि की 3 से 4 जुताई करना काफी अच्छा माना जाता है खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल यानि की मोल्ड बोर्ड हल (Mould Board Plough), डिस्क प्लॉऊ (Disc Plough) या स्वदेशी हल (Indigenous plough) आदि से करना चाहिए। खेत की मिट्टी को समतल करने के लिए पाटा का उपयोग करना काफी अच्छा होता है।
जिस जगह पर फूलगोभी की फसल के लिए नर्सरी तैयार करनी है उस जगह की मिट्टी की तैयारी करना भी आवश्यक होता है. जुताई हो जाने के बाद खेत की मिट्टी मे उपलब्द खरपतवार को चुनकर निकाल लेना चाहिए जिससे की नर्सरी मे खरपटवारों का प्रकोप न हो। एवं इसकी मिट्टी मे गोबर एवं कम्पोस्ट की खाद को जरूरत के हिसाब से मिलाकर मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए।
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फूलगोभी की नर्सरी (Cauliflower Nursery)
फूलगोभी के बीज को सीधे खेत मे बुआई नहीं किया जाता है इसकी रोपाई से पहले इसके पौध को तैयार किया जाता है इसके पौध को तैयार करने के लिए पौधशाला मे बुआई करके इसकी नर्सरी तैयार की जाती है।
फूलगोभी की फसल के लिए नर्सरी तैयार करने के लिए पौधशाला की मिट्टी की जुताई कर भुरभुरी और समतल कर ले, फूलगोभी की पौध तैयार करने के लिए क्यारियों का निर्माण कर ले। क्यारी का निर्माण करने से पहले पौधशाला की मिट्टी मे पर्याप्त मात्रा मे गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद को अच्छे से मिला ले। इसके बाद पौधशाला के क्यारियों मे बुआई करें, बुआई करने से पहले बीज को केप्तान या बाविस्टीन से 2 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से बीज को उपचारित करें. बीज की बुआई हो जाने के बाद हल्की मात्रा मे पानी का छिङकाव करें।
जब नर्सरी मे पौधे निकल आए तब सिंचाई का आवश्यकता पङने पर क्यारी बनाते समय जो नालियाँ बनाई गई थी उसकी मदद से सिंचाई करे।
फूलगोभी की पौध का रोपाई का समय
अगेती फसल की किस्म | 5 से 6 सप्ताह की पौध |
मध्य एवं पछेती फसल की किस्म | 3 से 4 सप्ताह वाली पौध |
फूलगोभी की पौध की रोपाई एवं दूरी
जब फुलगोभी की पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाए तो फुलगोभी की पौध को सावधनीपूर्वक नर्सरी से उखारकर तैयार खेत मे रोपाई करें. पौध को नर्सरी से उखारते समय इस बात का ध्यान रखे कि जितना कम से कम पौधों की जङो को नुकसान पहुँचे. संभव हो तो तैयार खेत मे पौध की रोपाई करने के लिए शाम के समय का चयन करें। पौध की रोपाई करते समय इस बात का ध्यान रखे कि वैसे पौधे को न लगाया जाए जो की पहले से ही रोगों से ग्रसित है और जो पौधा शुरू मे ही रोपाई के समय या रोपाई के कुछ दिन बाद मर जाए या सुख जाए तो वैसे पौधों के जगह पर नई पौधों का रोपाई करें।
पौधों की रोपाई करते समय इस बात का ध्यान रखे कि पौधों कि रोपाई एक निश्चित दूरी एवं निश्चित अंतराल पर हो. फूलगोभी की अगेती किस्म की पौध की रोपाई 45×30 सेंटीमीटर के अंतराल पर करें एवं मध्य और पछेती किस्म की पौध की रोपाई 60×45 सेंटीमीटर की अंतराल पर करें।
फूलगोभी की फसल मे सिंचाई
खेत मे पौध की रोपाई के ठिक बाद प्रथम सिंचाई करें, गर्मियों के दिनों मे 6 से 8 दिनों के अंतराल पर एवं सर्दियों के मौसम मे 10 से 15 दिनों के अंतराल पर फूलगोभी की फसल की सिंचाई करें। फसलों को सिंचाई की आवश्यकता पङने पर ही फसलों को आवश्यकतानुसार सिचाई करें।
फूलगोभी की फसल मे खरपतवार नियंत्रण
फूलगोभी की फसल मे खरपतवार का ज्यादा प्रकोप होने पर इसका नियंत्रण करना काफी महत्वपूर्ण होता है इसकी फूल तैयार होने तक खरपतवार पर नियंत्रण रखना चाहिए. इसकी फसल मे निराई-गुङाई करके खरपतवार पर नियंत्रण पाया जा सकता है इसके आलवा भी खरपतवार पर नियंत्रण पाने के लिए खरपतवारनाशी का उपयोग कर सकते है।
पौधों की जङो की समुचित विकाश के लिए निराई-गुङाई करना काफी आवश्यक माना जाता है इसकी फसल मे निराई-गुङाई करने से जङो के आस-पास की मिट्टी ढीली हो जाती है जिससे की हवा का आवागमन अच्छी तरह से होता है जिसका अच्छा प्रभाव हमारी फसल के पैदावार पर पङती है अगर सिंचाई करने या वर्षा के मौसम मे पौधों की जङो के पास की मिट्टी हट गई हो तो ऐसे मे चारों तरफ से पौधों के जङो के पास मिट्टी चढ़ा देना चाहिए।
फूलगोभी की फसल मे लगने वाले रोग
फूलगोभी की फसल मे भी कई तरह के रोग लगते है जिनमे प्रमुख्य कीट रोग मोयल, डायमंड ब्लैक मोथ, पत्ती भक्षक कीट, तंबाकू की सूण्डी, कबङा कीङा एवं चेपा आदि रोग लगते है इन रोगों पर अगर समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो इसका बुङा प्रभाव हमारी फसल पर पङती है जो की हमारी उपज को प्रभावित करती है। इन रोगों के आलवा फूलगोभी की फसल मे व्याधियों का भी प्रकोप बना रहता है फूलगोभी की फसल मे प्रमुख्य व्याधियां गलन रोग, डाऊनी मिल्डयू, आद्रगलन रोग और आल्टरेनिया अंगमारी आदि जैसे रोग फूलगोभी की फसल मे लगते है। इन सभी रोगों से बिना ज्यादा नुकसान के बचा जा सकता है बस जरूरत होती है फसल की अच्छी देखभाल। अच्छी देखभाल के साथ-साथ अगर किसान को किसी रोग का लक्षण दिखे तो शुरुआती लक्षण दिखते ही इसके रोकथाम का इंतजाम करना चाहिए।
फुलगोभी की तुराई
फूलगोभी की खेती मे इसकी फूल की तुड़ाई सही समय पर करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है फूलगोभी की फूल की तुड़ाई उस समय करनी चाहिए, जब फूल पूरी तरह से परिपक्व हो एवं फूल उचित आकार का हो। पौधों से फूल को काटते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसकी डंठल फूल से लगा रहे एवं फूल टूकङो मे विभाजित न हो। इसके फूल मे डंठल के लगे रहने से एक जगह से दूसरी जगह एवं बाजार तक ले जाने मे डंठल फूल की रक्षा करती है।
फूलगोभी की उपज
फूलगोभी की उपज फूलगोभी की किस्म, खेत की मिट्टी की उर्वरता शक्ति, एवं इसकी कैसी देखभाल की गई है इस पर भी निर्भर करता है वैसे आमतौर पर इसकी उपज लगभग 15 से 35 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है इसकी उपज पूरी तरह से इसकी किस्म पर निर्भर करती है।
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फूलगोभी की खेती से संबंधित पूछे गए प्रश्न (FAQs)
Q. फूलगोभी की फसल कितने दिनों में तैयार हो जाती है ? |
फुलगोभी की फसल कितने दिनों मे तैयार हो जाती है ये तो पूरी तरह से फूलगोभी की किस्म पर निर्भर करती है अगेती किस्म की फसल को तैयार होने मे करीब 70 से 80 दिनों का समय लगता है वहीं पछेती किस्म की फसल को तैयार होने मे करीब 100 से 110 दिनों का समय लगता है। |
Q. बारिश के दिनों में फूलगोभी की खेती कैसे करें ?
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बारिश के दिनों मे फूलगोभी की खेती करने के लिए ऐसी भूमि का चयन करें जहाँ पर बारिश का पानी न लगता हो यानि की ऊँची भूमि का चयन करें. बारिश का जल निकाशी के लिए उचित प्रबंध करें, बारिश के दिनों मे इसकी खेती क्यारियों पर करे जिससे की जो बारिश का पानी हो वो इन क्यारियों के मदद से बाहर निकल पाए और फसल को जल जमाव से कोई नुकसान न हो पाए। |
Q. फूलगोभी की खेती कौन से महीने में की जाती है ?
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वैसे तो अब फूलगोभी की खेती पूरे साल की जाती है, इसकी अगेती किस्म की खेती मध्य मई से जून के महीनों एवं पछेती किस्म के फूलगोभी की खेती सितम्बर से अक्तूबर माह मे इसकी रोपाई की जाती है। |
Q. फूलगोभी की मध्यम समय में पकने वाली किस्म कौन सी है ?
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फूलगोभी की मध्यम किस्में पंत गोभी -4, पंत शुभ्रा, इम्प्रूव्ड जपानीज़, पूसा हाइब्रिड -2, पूसा शरद, पूसा सिंथेटिक, हिसार -1, पूसा शुभ्रा एवं पूसा हिमज्योति है। |
Q. फूलगोभी का वैज्ञानिक नाम क्या है ?
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फूलगोभी का वैज्ञानिक नाम ब्रसिका ओलेरेसिया वार बॉट्राइटिस (Brassica oleracea var. botrytis) है।
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तो दोस्तों मुझे आशा है कि आपको फूलगोभी की खेती (Poolgobhi ki kheti) से जुड़ी जानकारी पसंद आयी होगी इस पोस्ट मे फूलगोभी की खेती से जुङी अनेक प्रकार की जानकारियाँ दी गई है. अगर आपको इस पोस्ट से संबंधित कोई भीं सवाल हो तो आप हमसे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते है।
तो दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। और उन तक भी फूलगोभी की खेती के बारे मे जानकारी पहुँचाए।
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